The smart Trick of hindi story That Nobody is Discussing

गोलू के घर में एक शरारती चूहा आ गया। वह बहुत छोटा सा था मगर सारे घर में भागा चलता था। उसने गोलू की किताब भी कुतर डाली थी। कुछ कपड़े भी कुतर दिए थे। गोलू की मम्मी जो खाना बनाती और बिना ढके रख देती , वह चूहा उसे भी चट कर जाता था। चूहा खा – पीकर बड़ा हो गया था। एक दिन गोलू की मम्मी ने एक बोतल में शरबत बनाकर रखा। शरारती चूहे की नज़र बोतल पर पड़ गयी। चूहा कई तरकीब लगाकर थक गया था, उसने शरबत पीना था।

बाघ उसे बहुत कुछ खिलाता था और स्थिति से अनजान, कानन धीरे-धीरे गुफा में घर जैसा महसूस करने लगी। गुफा में एक चूहा भी रहता था। चूहे ने अगले दिन बाघ को कानन को खाने की बात करते हुए सुना। चूहा तुरंत कानन के पास गया और उसे सारी बात बता दी। चिंतित कानन ने चूहे से उसकी मदद करने को कहा । उसने उसे गुफा से बाहर जाने और एक जादूगर मेंढक से मिलने का सुझाव दिया। कहानी आगे बढ़ती है । मेंढक कानन की मदद करने को तैयार हो जाता है।  पर बदले मे कानन को अपना सेवक बना लेता है।  मेंढक के पास एक जादुई खाल थी।

डर के मारे कोई पशु उसके पास नहीं जाते थे ।

'.....हर कोई दूसरे को छल रहा है और हर कोई दूसरे के द्वारा छला गया है.

एक सेक्स वर्कर की कहानी- 'मेरे पहुंचने से पहले वो ड्रग्स ले रहे थे, मुझे लगा मैं बच नहीं पाऊंगी'

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चोर बस इतना ही कर के नहीं माने, उन्होंने सभी व्यापारियों को मस्ती के लिए नाचने और गाने के लिए कहा। अचानक व्यापारियों के नेता को एक विचार आया। उन्होंने अपनी गुप्त भाषा के जरिए खुद को बचाने की अपनी योजना बनायी। और फिर व्यापारियों ने चोरों को मुर्ख बना अपना सारा सामान भी वापिस ले लिया और अच्छा सबक भी सिखाया।

उत्तर प्रदेश की नई डिजिटल नीति पर क्यों उठ रहे सवाल, क्या दूसरे राज्यों में भी है डिजिटल पॉलिसी

गत वर्ष जब प्रयाग में प्लेग घुसा और प्रतिदिन सैकड़ों ग़रीब और अनेक महाजन, ज़मींदार, वकील, मुख़्तार के घरों के प्राणी मरने लगे तो लोग घर छोड़कर भागने लगे। यहाँ तक कि कई डॉक्टर भी दूसरे शहरों को चले गए। एक मुहल्ले में ठाकुर विभवसिंह नामी एक बड़े ज़मींदार मास्टर भगवानदास

बड़े-बड़े मकानों, बड़ी-बड़ी दूकानों, लंबी-चौड़ी सड़कों, एक read more से एक बढ़ के कारख़ानों और रोज़गारियों की बहुतायत ही के सबब से नहीं, बल्कि अंग्रेज़ो की कृपा से सैर तमाशे का घर बने रहने और समुद्र का पड़ोसी होने तथा जहाज़ी तिजारत की बदौलत आला दरजे की तरक़्क़ी माधव प्रसाद मिश्र

ऐसी 'हिंदी', जो आज के अकादमिक, सांस्थानिक और राजकीय-राजनीतिक प्रयासों से अपठनीय बना दी गई है और जो साधारण हिंदी भाषियों के लिए दुरुह और अजनबी हो चुकी है.

यह कवच विशाल को कुछ दिनों में भारी लगने लगा। उसने सोचा इस कवच से बाहर निकल कर जिंदगी को जीना चाहिए। अब मैं बलवान हो गया हूं , मुझे कवच की जरूरत नहीं है।

वह इतना सुधर गया था , गली में निकलने वालों को परेशान भी नहीं करता।

एक दिन की बात है मोती बाजार से सामान लेकर लौट रहा था।

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